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Author : Sachin
15 नवंबर सन् 2000 को झारखंड बिहार से अलग होकर एक नए राज्य के तौर पर उभरा और रांची झारखंड की राजधानी बनी। रांची! यूँ तो यह शहर देशभर में माही अर्थात महेंद्र सिंह धोनी के शहर के नाम से मशहूर है। पर क्या इस शहर की हस्ती बस इतनी सी है?
जी नहीं।
समुद्र तल से 651 मीटर की ऊंचाई पर बसा यह शहर प्राकृतिक रूप बेहद खूबसूरत है। रांची के आसपास मौजूद जंगल और इसकी ऊंचाई यहां के वातावरण को सुहाना और बेहद लुभावना बनाती है। अंग्रेज़ी राज के समय इसे हिल स्टेशन और उस समय अविभाजित बिहार की ग्रीष्मकालीन राजधानी का दर्जा प्राप्त था। जाड़ों में आज भी कहीं-कहीं हल्की बर्फ जमती है। रांची को झरनों का शहर भी कहा जाता है। पहाड़ियों, नदियों और जंगलों से घिरे इस शहर की छटा बरसात के मौसम में अपने पूरे शबाब पर होती है। इस समय ठंडी और मोहक हवा की मस्तियाँ लूटते हुए हिरणी, दशम, पंच घाघ, हुंडरू फॉल एवं पतरातू घाटी की खूबसूरती का चश्मदीद गवाह बनना किसी सौभाग्य से कम नहीं है। इसके अलावा कांके डैम, धुर्वा डैम, गेतलसूद, बिरसा जैविक उद्यान, जैव विविधता पार्क, टैगोर हिल, पहाड़ी मंदिर, रिंग रोड एवं अन्य पार्क-पहाड़ियां रांची में घूमने फिरने का ऑल टाइम डेस्टिनेशन है।
ऐतिहासिक रूप से यह शहर कई महत्वपूर्ण घटनाओं का गवाह रहा है। जैसे बिरसा मुंडा का आदिवासी आंदोलन, 1857 का स्वतंत्रता संग्राम, झारखंड आंदोलन, इत्यादि। 4 जून, 1917 को चंपारण सत्याग्रह से जुड़ा समझौता जो कि लेफ्टिनेंट गवर्नर एडवर्ड गेट और महात्मा गांधी के बीच में यहीं, शहर के आॅड्रे हाउस में हुआ था।
शहर में बीआईटी मेसरा, निफ्ट, रिम्स और संत जेवियर जैसे प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान हैं जिनकी ख्याति देशभर में है और जहां पढ़ने के लिए दूसरे राज्यों के भी बच्चे आते हैं। यहां के मौसम और शांति भरे माहौल के कारण यहां रांची न्यूरो साइकाइट्री एंड अलाइड सांयेंसेज की भी स्थापना की गई है।
अब अंत में बस यही कहूंगा कि आज तक जिसने भी शहर में अपना थोड़ा वक्त बिताया है, वह इस शहर को छोड़कर कहीं भी चला गया हो लेकिन वह इस शहर को कभी भुला नहीं पाया है। यह शहर हमेशा उसके ज़हन में बस जाता है।
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